द फॉलोअप डेस्क
दुमका से बीजेपी प्रत्याशी सीता सोरेन झामुमो पर जमकर बरसी हैं। अपने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर सीता सोरेन ने लिखा है कि जिन्होंने अपने खून पसीने से जेएमएम पार्टी रूपी वृक्ष को सींचा, खड़ा किया आज उसी पार्टी के द्वारा बाबा जी के संघर्षों को भुला दिया गया है, उनकी बनाई गई बगिया को उजाड़ कर पहले फेंका गया फिर बंजर बनाकर छोड़ दिया गया, ऐसे संस्कारहीन, नैतिकता की सारी हदें पार करने वाले जेएमएम के नेता आज खुद को बगिया का मालिक समझने की भूल कर बैठे हैं।
तबियत खराब होने के बावजूद भी अपने स्वार्थवश उन्हें उलगुलान में बैठाया
सीता ने लिखा कि झारखंड आंदोलन के एक मजबूत सिपाही, राजनीति के भीष्म पितामह, हमारे दुखहर्ता और पालनकर्ता बाबा जी का जेएमएम द्वारा जो अपमान किया जा रहा है, उससे झारखंड का कोई भी गांव अछूता नहीं है। जेएमएम के मुखौटे में बैठे सत्ता की लालसा लिए शीर्ष नेताओं द्वारा हम सबके प्रेरणास्रोत बाबा जी की तबियत खराब होने के बावजूद भी अपने स्वार्थवश उन्हें उलगुलान के नाम पर कभी चिलचिलाती धूप में बैठाया गया तो कभी संसद ले जाया गया। यही नहीं परमपूज्य दिशोम गुरु जी को निर्णय लेने वाली समिति से भी दरकिनार कर दिया गया।
झारखंड आंदोलन के एक मजबूत सिपाही, राजनीति के भीष्म पितामह, हमारे दुखहर्ता और पालनकर्ता आदरणीय बाबा जी का जेएमएम द्वारा जो अपमान किया जा रहा है, उससे झारखंड का कोई भी गांव अछूता नहीं है। जेएमएम के मुखौटे में बैठे सत्ता की लालसा लिए शीर्ष नेताओं द्वारा हम सबके प्रेरणास्रोत बाबा जी…
— Sita Soren (@SitaSorenMLA) May 4, 2024
पति की मौत के बाद मुझे और मेरे परिवार को दिया सहारा
दुर्गा सोरेन जी के देहावसान के बाद जब मुझे और मेरी बेटियों को मेरे ही परिवार द्वारा दरकिनार कर दिया गया तब मुझ जैसे अबोध का बाबा जी ही एकमात्र सहारा बने रहे, उनके संरक्षण में मैंने राजनीति का क, ख, ग...सीखा है, मेरी बेटियों ने अपने बाबा जी उंगली पकड़कर चलना सीखा, अपने पैरों पर खड़ा होना सीखा। पूज्यनीय ससुर होने के साथ साथ बाबा जी मेरे लिए राजनीति के द्रोणाचार्य हैं, जिनका अपमान करना मेरे लिए खुद के अस्तित्व पर सवाल खड़ा करना है, लेकिन जेएमएम के पास जब कोई भी मुद्दा नहीं बचा है तो वह आज ऐसी गन्दी और तुच्छ राजनीति को जनता के सामने परोसने की कोशिश कर रहे हैं।
बाबा जी का अनादर करने वाले राजनीति में कदापि महारत नहीं हासिल होगी
मेरे गुरुजी, मेरे पितातुल्य बाबा के नाम पर राजनीति करने वालों, उनका अनादर करने वालों उनके बिगड़ते स्वास्थ्य का भी तनिक ख्याल कर लो, सिर्फ सत्ता की राजनीति करने से आपको सत्ता तो जरूर मिल सकती है पर दिशोम गुरुजी जैसी कोमलता, मृदुलता, उपलब्धि और महारत ऐसी तुच्छ राजनीति से कदापि नहीं मिल सकती है। झारखंड के लोगों के दिलों में जितना प्रेम बाबा जी के लिए है, उतना ही या उससे कहीं ज्यादा मेरे दिल में भी है, मेरी बेटियां इस बात की गवाह हैं कि बाबा जी सिर्फ मेरे ससुर भर नहीं, बल्कि मेरे गुरु, मेरे पिता तथा मेरी छोटी राजनीतिक पारी के मार्गदर्शक और सूत्रधार भी हैं। उनके कदमों की धूल को अपने माथे में लगाकर ही मैंने दुमका की सेवा करने का संकल्प लिया है और इन रास्तों में विरोधियों के बिछाये कांटे तो जरूर आयेंगे पर आपको बताना चाहती हूं कि कांटों पर चलना बाबा जी का इतिहास रहा है और इस परंपरा को आगे बढ़ाकर अपने पैर के छालों को भुलाकर उन्हीं के रास्तों में चलकर दुमका की सेवा करना मेरा प्रथम कर्तव्य है।